काव्य
त्रिशूल
भाव्य
बाबा
त्रिशूल
धावा
अश्त्र
त्रिशूल
शस्त्र
चोप्यो
त्रिशूल
रोप्यो
बिर्ता
लिनेछु
फिर्ता
ऐले
हान्दिन
मैले
मित्र
शत्रुको
चित्र
भोट
विशेष
नोट
ह्वाम्म
पार्योनि
स्वाम्म
लिएँ
जहर
पिएँ
अाज
गरियो
राज
लिएँ
सुस्तरी
दिएँ
पुष्कर अथक रेग्मी
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लघु
काव्यमा
बगुँ
यात्रा
त्रिशूल
जात्रा
धनी
मनका
हामी
बीर
गोर्खाली
शिर
कथा
दुःखी को
ब्यथा
धन
रुपैयाँ
गन
गन
नपुगे
भन
छोरो
प्यारो छ
हाम्राे
मानो
सुनको
छानो
कृष्ण के. सी.
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हान्याे
त्रिशुल
तान्याे
साथी
भए छ
घाती
तास
के छ र
अास
अाऊ
क्यै तिमी
खाऊ
बाउ
मुटुकाे
घाउ
नाच
कम्मर
भाँच
टाढा
माया भाे
गाढा
पिता
पढ्नु छ
गीता
तारा
झाराैँ कि
दाह्रा
गङ्गा
मनमा
चङ्गा
राहु
काे रैछ
साहु
राजा
खाउन
खाजा
हाताे
खुस्कायाे
पाताे
माम
खाेज्दैछ
काम
लेखेँ
त्रिशुल
देखेँ
ताेयानाथ सुवेदी
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दिल
भित्र भाे
फिल
पिराे
पुष्कर
हिराे
अाऊ
सुसेली
गाऊ
तन्त्र
सिकायौ
मन्त्र
सत्रु
काे हुन् नी
मित्रु
गयाे
सन्चाे पाे
भयाे
छाया
प्रगाढ
माया
तर
नपर
भर
दीन
दुखीकाे
ऋण
चुम्छु
विदेश
घुम्छु
खाजा
खाउन
राजा
रेग्मी
त्रिशूल
लेख्नी
इन्दिरा ज्ञवाली
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यात्रा
त्रिशूल
जात्रा
रच्ने
त्रिशूल
जाँच्ने
साेझा
जनता
नाङ्गा
नाेट
चुनाब
भाेट
अाँखा
मिनाक्षी
भाखा
छाम
बाहुली
दम
पुत्र
अनन्य
मित्र
छैन
अक्रम
हैन
गर्याै
अकृत्य
पर्याै
डुमे
नभन
च्यामे
राताे
रगत
ताताे
हुन
समान
जन
जात
हाेईन
भात
कर्म
अाधार
मर्म
बुवा
प्रार्थना
मुवा
जल्याे
खरानी
बन्याे
सुख
उज्यालाे
मुख
नेल
पाउजू
जेल
तन
भुचित्र
मन
बग्याे
पानीले
लग्याे
भयाे
सखाप
पार्याे
घाेट्नु
प्राणान्त
जाेत्नु
प्राण
जिनिस
भान
तेराे
भन्छन
मेराे
लिई
नश्वर
भई
पुण्यश्वरी सुलू
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